Message By National Convener

डॉ राजाराम त्रिपाठी

भारतीय कृषि और किसान वर्तमान में संकट के दौर से गुजर रहे. हैं यह संकट ना केवल आजादी के बाद से बल्कि ब्रिटिश हुकुमत के दौर से चली आ रही है. आजादी के बाद उम्मीद जगी कि देश के किसानों के दिन बहुरेंगे लेकिन तब से लेकर अब तक की तमाम सरकारें आश्वासन के भरोसे अपना कार्यकाल पूरा करती रही है. जो नीतियां बनी या जो व्यवस्थाएं कृषि क्षेत्र और किसानों के उत्थान के लिए बने वे अब तक थोथे साबित हुए. कारण कि इसके लिए जिन आकड़ों और तथ्यों का सहारा लिया गया वस्तुतः वे जमीनी हकीकत से दूर रहे. किसानों से सरकारों का सीधा संवाद नहीं हो सका. वैसे लोग नीतियां बनाने और व्यवस्था विकसित करने में संलग्न रहे जिन्हें कृषि से लेना देना ही नहीं रहा. फलस्वरूप कृषि का दायरा संकुचित होता गया और अब तो यह अलाभकारी ही नहीं बल्कि घाटे का पेशा बन गया है. किसानों के सामने चुनौतियां इस कदर हावी हो गयी हैं कि उन्हें आत्महत्या करने के अलावा कोई विकल्प नहीं रह गया है और सरकारें संवेदनहीनता के शीर्ष पर पहुंच गयी है. इस दौरान विभिन्न क्षेत्रों में कई किसान संगठनों ने किसानों और कृषि की दुर्दशा को लेकर सड़कों पर उतरते रहे हैं, सरकारी गोलियों के शिकार होते रहे हैं. लेकिन अब बहुत हुआ. इस बात को ध्यान में रख कर फिलहाल देश के 44 किसान संगठनों ने अपनी राजनीतिक विचार धाराओं से इतर हट कर कृषि और किसानों के कल्याण के लिए और उनकी आवाज को जोरशोर से बुलंद करने के लिए अखिल भारतीय किसान महासंघ (अभाकिम) का गठन किया है.

अखिल भारतीय किसान महासंघ (अभाकिम); आल इंडिया फार्मर्स एलायंस (आईफा )कृषि क्षेत्र और किसानों की समस्या को दूर करने के लिए सरकार को नये सिरे से नीतियां बनाने और व्यवस्था विकसित करने के लिए बाध्य करें. कृषि और किसान बचेगा तभी देश बचेगा. कृषि क्षेत्र के इस कृष्ण पक्ष को दूर करने के लिए मैं सभी किसान संगठनों किसानों का आह्वान करता हूं कि अब समय आ गया है कि एकजुट हो कर शंखनाद किया जाए, तभी सरकारों की निद्रा भंग होगी. अखिल भारतीय किसान महासंघ ((आईफा ) का उद्देश्य भारतीय कृषि का स्वर्ण युग वापस लाना है. आइये एकजुट हो कर अपनी आवाज बुलंद करें, अपने हक लें.

राष्ट्रीय संयोजक अखिल भारतीय किसान महासंघ